वो कहते हैं मुझसे
अब तुम्हें मरना होगा
शूली पर चढ़ना होगा
खेले खूब धूम मचाया
जग से क्या कुछ न पाया
पर तुम पा न सके उसे
जिसकी तुम्हें जुस्तजू थी
अपना ही कुछ खोकर फिर
जिसे पाने की आरज़ू थी
मुड़ के देखूँ जीवन को तो
आता मन में ख्याल यही
मिला तो है सब कुछ मगर
हुआ हासिल कुछ भी नहीं
पर सच तो है ये कि
तुम उसे पा सकते नहीं
वो होगा रौशन तभी
जब तेरा वज़ूद रहेगा नहीं
जाओ तुम्हे चलना होगा
कतरा-कतरा जलना होगा
अब तुम्हें मरना होगा
शूली पर चढ़ना होगा
No comments:
Post a Comment