साधो सहज समाधि भली

साधो सहज समाधि भली 

साधो सहज समाधि भली 


जंतर-मंतर तू तो करदा 

मस्जद-मंदर तू तो फिरदा 

हलचल इतनी फिर क्यों अंदर 

चल दे अब तू होश गली 

साधो सहज समाधि भली 

साधो सहज समाधि भली


पूजा-सज्दा तू तो करदा 

काशी-क़ाबा तू तो फिरदा 

मन में दुःख इतना क्यों फिर 

चल दे अब तू प्रेम गली 

साधो सहज समाधि भली 

साधो सहज समाधि भली  


बाहर-बाहर मारा फिरदा 

सद्गुरु की तू एक न सुनदा 

बाहर की माया अब तज तू 

चल दे अब अंदर की गली 

चल दे अपने घर की गली 

साधो सहज समाधि भली 

साधो सहज समाधि भली  

No comments:

मैं किस चीज़ से भाग रहा हूँ ?

मैं किस चीज़ से भाग रहा हूँ ? हमारा एक दोस्त है। फ़ितरतन धारा के विरुद्ध बहने वाला। बेफ़िक्र, आज़ादी-पसंद और घुमक्कड़। कॉरपोरेट कल्चर कभी उसे रास...