उठो और चलो
तुम हताश क्यों होते हो ?
दुःख तोआएँगे ही
इन्हें देख क्यों रोते हो ?
जब तक कि ये सफ़र है
ज़िन्दगी की राहगुज़र है
सफ़र में धूप तो रहेगी
साये को सर पे न पाकर
तुम उदास क्यों होते हो ?
तुम हताश क्यों होते हो ?
जब तक कि ये मेला है
सुख-दुःख का रेला है
जान कि तू अकेला है
हाथों से हाथ छूटेंगे ही
राहों में साथ छूटेंगे ही
आज जो तेरे संग हैं
कल तुमसे रूठेंगे ही
जो कोई आज रूठा तो
तुम निराश क्यों होते हो ?
तुम हताश क्यों होते हो ?
तुम हताश क्यों होते हो ?
तुम हताश क्यों होते हो ?
दुःख तोआएँगे ही
इन्हें देख क्यों रोते हो ?
जब तक कि ये सफ़र है
ज़िन्दगी की राहगुज़र है
सफ़र में धूप तो रहेगी
साये को सर पे न पाकर
तुम उदास क्यों होते हो ?
तुम हताश क्यों होते हो ?
जब तक कि ये मेला है
सुख-दुःख का रेला है
जान कि तू अकेला है
हाथों से हाथ छूटेंगे ही
राहों में साथ छूटेंगे ही
आज जो तेरे संग हैं
कल तुमसे रूठेंगे ही
जो कोई आज रूठा तो
तुम निराश क्यों होते हो ?
तुम हताश क्यों होते हो ?
तुम हताश क्यों होते हो ?