प्रकृति का सौंदर्य
हरे भरे पर्वत
वादियों में उतरे बादल
धीमी-धीमी बहती नदी
और एकांत
शांत चित्त और मौन
ये सब होते हैं
मैं नहीं होता
विस्तृत फैला आकाश
क्षितिज पर उगता सूरज
बाहें फैलाये हुआ समन्दर
उठती गिरती लहरें
और एकांत
शांत चित्त और मौन
ये सब होते हैं
मैं नहीं होता
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