जामे-फ़ना

असल (Original)

अक्ल के मदरसे से उठ, इश्क़ के मयक़दे में आ 
जामे-फ़ना-ओ-बेख़ुदी अब तो पिया जो हो सो हो 

- हज़रत शाह नियाज़ 

नक़ल (Duplicate)

अक्ल की टोपी फ़ेंक दी 
ली इश्क़ की चादर ओढ़ 
जामे-फ़ना जो पी ली तो 
मैं बेख़ुद हुई बेजोड़ 

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