धागे से टूट कर सब मोती बिखर गए
बैठे थे शाख़ पर वो पंछी किधर गए ?
उठ कर बुलबुला पानी में खो गया
यूँ ही जहां में आये यूँ ही गुजर गए
गुम हुई है हीर राँझे की खोज में
राहे-फ़ना के रहबर सभी किधर गए ?
होने ने मेरे ही बढ़ा दी मुश्किलें
ख़ुदी से बढ़े तो हम भी उबर गए
कई मक़ाम हैं तवील सफ़र में
मुर्शीद थे तो पार राही उतर गए
बैठे थे शाख़ पर वो पंछी किधर गए ?
उठ कर बुलबुला पानी में खो गया
यूँ ही जहां में आये यूँ ही गुजर गए
गुम हुई है हीर राँझे की खोज में
राहे-फ़ना के रहबर सभी किधर गए ?
होने ने मेरे ही बढ़ा दी मुश्किलें
ख़ुदी से बढ़े तो हम भी उबर गए
कई मक़ाम हैं तवील सफ़र में
मुर्शीद थे तो पार राही उतर गए
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