बाबाजी बाबाजी

गिर कर उठ कर
अटक भटक कर
दर पर आ गया
घर पर आ गया

लायक बना दो मुझे
कि देख पाऊँ तुझे
दूजा अब कोई काम नहीं
तेरे सिवा कोई नाम नहीं

जिस हाल रखोगे रहूँगा
ले जाओगे जहाँ जाऊँगा
जो चाहा वो तो दे दिया
क्या रहा जो मांगूँगा

परम पिता तो तुम्हीं हो
बालक दास तुम्हारा मैं
चरणों से दूर मत करना
तुम बिन जी न पाउँगा

तेरी धार में अब बहता फिरूँ
बाबाजी बाबाजी कहता फिरूँ 

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