मैं कहाँ हूँ !
किस राह से
किधर जा रहा हूँ !
कोई खींचता है मुझे
तो कोई फेंकता है
तो कोई धकेलता है
एक स्लोप पर हूँ
जाने मैं कब से
ख़ुद से तो अब
रुक पाना मुमकिन नहीं
किस राह से
किधर जा रहा हूँ !
कोई खींचता है मुझे
तो कोई फेंकता है
तो कोई धकेलता है
एक स्लोप पर हूँ
जाने मैं कब से
ख़ुद से तो अब
रुक पाना मुमकिन नहीं
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