अंतिम लक्ष्य

मेरा अंतिम लक्ष्य
न कोई उत्सव
न ही सन्नाटा
न चुनौतियाँ 
न उन पे विजय
न ही मृत्यु
और न मृत्यु पे विजय
न ऐश्वर्य
न ही वैराग्य

मेरा अंतिम लक्ष्य
शून्य
मन की वो स्थिति
जहाँ कोई लक्ष्य नहीं
न भय, न मोह
आशा न निराशा
न विजय की लालसा
न पराजय का भय
न अपूरित कामनाएँ
न नवीन स्वप्न
न कहीं होने की चाह
न कुछ बनने की, न बनाने की

किसी से कोई उम्मीद नहीं
न मंज़िल कोई, न राहों का छलावा
चढ़ने को न कोई सोपान
न विजित होने को कोई शिखर
बस आकाश एक विस्तृत असीमित
शांति और संतोष से प्रकाशित

स्वयं में एक विश्वास कि 
परिस्थितियाँ, अनुकूल या प्रतिकूल
लहरों की भाँति आएँ और चली जाएँ
और मैं रहूँ तटस्थ
न अचंभित, न विचलित
अपने में होकर पूर्णतः स्थित
बस शून्य में मिलकर
ऐसे एक हो जाऊँ
कि मैं का अवशेष न रहे





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