है कहता दिल मेरा
आ चल कदम बढ़ा 
एक बार कर ले हौसला 
चल दे उस राह पर 
बात  सुन मेरी 
इस अँधेरे के पार होगी रौशनी 
चल कदम तो बढ़ा 
क्यों संशय  कर रहा 

मेरी उंगलियां थाम ले 
मैं चल तो रहा हूँ संग तेरे 
सुन ले बात मेरी 
अस्तित्व के तेरे हिस्से हैं कई 
एक दूजे से बेख़बर 
चल रहे हैं इधर-उधर 
अपनी आँखें जरा बंद कर 
जान मेरी आँखों में देखकर 
एक हिस्सा ऐसा है 
जो ठहरा हुआ है 
हिस्सा है रोशन वही 
जुड़े हैं उसी से सभी 

तुम हो वही, उसी से हो तुम 
आ  जाओ ख़ुद को देख लो 
जान लो, पा लो ख़ुद को 
रौशनी में आओ 
रौशनी  बन जाओ 


No comments:

मैं किस चीज़ से भाग रहा हूँ ?

मैं किस चीज़ से भाग रहा हूँ ? हमारा एक दोस्त है। फ़ितरतन धारा के विरुद्ध बहने वाला। बेफ़िक्र, आज़ादी-पसंद और घुमक्कड़। कॉरपोरेट कल्चर कभी उसे रास...