आंखों का समंदर सूख चला
दिल भी अब परेशान नहीं
जिंदगी तू मुझसे नाराज़ सही
मैं तुमसे हैरान नहीं
जीने की अब पड़ गई आदत
ग़म से अपनी यारी है
दर्द का होता एहसास नही
जाने क्या बीमारी है!
मैं किस चीज़ से भाग रहा हूँ ? हमारा एक दोस्त है। फ़ितरतन धारा के विरुद्ध बहने वाला। बेफ़िक्र, आज़ादी-पसंद और घुमक्कड़। कॉरपोरेट कल्चर कभी उसे रास...
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