इस ब्लॉग के बारे में ....
कुछ शुरू करने से पहले थोड़ा tone set कर ली जाए। हिन्दी के कुछ blogs पढ़कर दिल में एक ख्याल आया है कि क्यों न मैं भी फिर से कुछ लिखूं और इस बार हिन्दी में। Blogging की ये कोई कोशिश मेरी पहली नही है, फर्क इतना है कि हिन्दी में नही लिखा। विषय कोई ख़ास नही है अभी फिलहाल दिमाग में। जब जो दिल में आएगा लिखेंगे - कैफियत, तबियत और फुर्सत के हिसाब से। हिन्दी और उर्दू पोएट्री एक अहम् हिस्सा होंगीं इस space का। कुछ मशहूर कवियों और शायरों और उनकी कविताओं और ग़ज़लों का बराबर ज़िक्र होता रहेगा और बीच-बीच में अपनी भी बातें होंगी। इसके अलावा थोडी बहुत philosophy और कुछ रोज़मर्रा की बातें भीं.
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तुम्हें मरना होगा
वो कहते हैं मुझसे अब तुम्हें मरना होगा शूली पर चढ़ना होगा खेले खूब धूम मचाया जग से क्या कुछ न पाया पर तुम पा न सके उसे जिसकी तुम्हें जु...
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सफ़र है तो किसी मंज़िल पे रुकता क्यों नहीं ? सब जा रहे हैं कहाँ कोई कुछ कहता क्यों नहीं ? बदल जाती है मेरे आस-पास की हर एक चीज मेरे अंदर जो म...
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ज़िन्दगी एक जंग है एक मुसलसल जंग करने और होने के दरमियान करना जो इंसान का फ़ुतूर और होना उसका मुस्तक़बिल करना जो होने नहीं देता लेकिन हो...
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सोच रहा हूँ आज फिर मैं अपने अंदर उतर कर देखूँ कि वहां का माज़रा क्या है तो पाता हूँ कि दरवाजे पर जंग है और ज़ीने पे धुल पड़ी है गोया को...
1 comment:
स्वागत है आपका।
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