कभी सुख की गंगा में मैं तैरता रहा
तो कभी दुख की यमुना में डूबता पाया
जीवन रूपी संगम पे बैठा मुसाफ़िर
सरस्वती आनंद की पर ढूँढ न पाया
तो कभी दुख की यमुना में डूबता पाया
जीवन रूपी संगम पे बैठा मुसाफ़िर
सरस्वती आनंद की पर ढूँढ न पाया
वो कहते हैं मुझसे अब तुम्हें मरना होगा शूली पर चढ़ना होगा खेले खूब धूम मचाया जग से क्या कुछ न पाया पर तुम पा न सके उसे जिसकी तुम्हें जु...
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