इस इमपरमानेन्ट ज़िन्दगी में अगर कोई परमानेंट चीज है तो वो दर्द है। दर्द को डील करना एक हुनर है, एक आर्ट है। कोई इसकी गहराई में डूब जाता है तो कोई इसकी कीचड़ से सतरंगी फूल खिलाता है और कोई दर्द की नाव पे सवार होकर आनंद के अनंत महासागर तक पहुँच जाता है। इसमें कोई डूब कर शराबी हो जाता है तो कोई इसे पीकर शायर और कोई इससे उबर कर संत।  

मैं किस चीज़ से भाग रहा हूँ ?

मैं किस चीज़ से भाग रहा हूँ ? हमारा एक दोस्त है। फ़ितरतन धारा के विरुद्ध बहने वाला। बेफ़िक्र, आज़ादी-पसंद और घुमक्कड़। कॉरपोरेट कल्चर कभी उसे रास...