मेरा दिन हो तुम, रात हो तुम
मेरा हर पल, हर बात हो तुम
मौला ने जो बक्शी है वो
मेरे जीवन की सौगात हो तुम

वज़ह मेरे रोने हंसने की
मेरे दिल की हर जज़्बात हो तुम
तेरे बिन अधूरा सा मैं
मेरी पूरी क़ायनात हो तुम

ख्यालों में ख्वाबों में तुम
रहता हूँ तेरी यादों में गुम
आँखें हर पल ढूंढे तुमको
कानों में तेरे नाम की धुन

मेरा दिन हो तुम, रात हो तुम
मेरा हर पल, हर बात हो तुम

वही ख़ुशबू
वही चेहरा
वही आँखें
वही लम्स

वही आवाज़
वही अंदाज़
वही निस्बत
वही आलम

ख़याल है या
फिर ख़्वाब है कोई !

पर जब
खुली आँखें तो
बस तनहा मैं
ख़ामोश कमरा
सोयी दीवारें
उदास रात
और गीली हवा

तू तो नहीं है कहीं
चाँद भी नहीं है

बंद कर लूँ फिर आँखें
फिर डूब जाऊँ
उन ख़यालों में

फिर वही ख़ुशबू
वही आवाज़
वही चेहरा

हाय तेरा चेहरा !
तुम कितनी सुन्दर हो !

तुम्हें मरना होगा

वो कहते हैं मुझसे  अब तुम्हें मरना होगा  शूली पर चढ़ना होगा  खेले खूब धूम मचाया  जग से क्या कुछ न पाया  पर तुम पा न सके उसे  जिसकी तुम्हें जु...