ख़्वाब तुम्हारा

दीवारें गिरेंगी
तो फ़ासले मिटेंगे
दिल मिलेंगे
हाथ मिलेंगे
क़दम एक साथ उठेंगे

फिर सफ़र कितना भी मुश्किल क्यों न हो
दूर कितनी भी मंज़िल क्यों न हो
चलेंगें जब साथ राहों में
तो होंगीं कम दूरियाँ
आसां होंगीं मुश्किलें
हासिल होंगीं मंज़िलें
एक के बाद एक

फिर पाने को होगा
बस आसमान
ये ख़्वाब जो तुमने देखा है
यक़ीन मानो
मुक़म्मल होगा एक दिन


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