तुझे मैं जब भुला सकूँ !

दिल में वो प्रीत दे
मैं गीत गुनगुना सकूँ
ये इजाज़त भी दे
तुमको मैं सुना सकूँ

राहों में संग हो
चाहे जिस भी मोड़ तक
छोड़ना तभी मुझे
तुझे मैं जब भुला सकूँ

हो ये यकीं का रिश्ता
पक्का और कच्चा
तुम मुझे आज़मा सको
मैं तुझे आज़मा सकूँ

ख़्वाब तेरे हों जुदा
पर मुझे तुम बता सको
मुख़्तलिफ़ सोचूँ जो
तो मैं तुझे बता सकूँ

तुम मुझको थाम लो
मैं तुमको थाम लूँ
दूर हों न यूँ भी कभी
जो तुझे न मैं बुला सकूँ 

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