हमारे जीवन के पन्ने पर
तुम उभरे थे
एक चंद्र-बिंदु की तरह
और धीरे-धीरे फैलकर
पूरी वर्णमाला हो गए
और हमारे जीवन की पुस्तक
मोटी होती जा रही है
समय-समय पर इसमें
नए अध्याय जो
तुम जोड़ दिया करते हो !

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