जीवन तेरा कैसे फिर से निर्माण करूँ
बुझते पलों में कैसे सुलगते प्राण भरूँ
जो उबलता था, अब धमनियों में है अवरुद्ध
पुनः-प्रवाह हेतु उनमें क्या ऊर्जावान भरूँ
कुछ दुनियादारी कुछ अपनी लाचारी है
गुत्थी पूरी उलझी है, कैसे समाधान करूँ
भ्रम से घिरा लक्ष्य, तम से भरा पथ मेरा
ऐसे में सही दिशा का कैसे अनुमान करूँ
जीवन तू सुगम सरल नहीं है लेकिन
अश्रु बहा रचयिता का क्यों अपमान करूँ
बुझते पलों में कैसे सुलगते प्राण भरूँ
जो उबलता था, अब धमनियों में है अवरुद्ध
पुनः-प्रवाह हेतु उनमें क्या ऊर्जावान भरूँ
कुछ दुनियादारी कुछ अपनी लाचारी है
गुत्थी पूरी उलझी है, कैसे समाधान करूँ
भ्रम से घिरा लक्ष्य, तम से भरा पथ मेरा
ऐसे में सही दिशा का कैसे अनुमान करूँ
जीवन तू सुगम सरल नहीं है लेकिन
अश्रु बहा रचयिता का क्यों अपमान करूँ
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