कौन हमें
अपनों से दूर कर
खींचता है अपनी तरफ !
हमारे एम्बीशन्स हैं शायद
मैगनेट की तरह उनसे
चिपक जाते हैं हम
और रिश्ते तो
वैसे भी कमजोर
हाइड्रोजन बॉन्ड की तरह हैं
उनको टूटने में
कहाँ वक़्त लगता है !
अपनों से दूर कर
खींचता है अपनी तरफ !
हमारे एम्बीशन्स हैं शायद
मैगनेट की तरह उनसे
चिपक जाते हैं हम
और रिश्ते तो
वैसे भी कमजोर
हाइड्रोजन बॉन्ड की तरह हैं
उनको टूटने में
कहाँ वक़्त लगता है !