आसमां में जब मैं बादल देखूँ 
तेरे लब पे काँपता एक हलचल देखूं 
तेरी आँखों के गीले आईने में 
मैं अपनी पेशानी के बल देखूँ 
अब तक तो हँस कर निभा ली हमने 
इस रिश्ते का क्या होगा कल देखूं 
दूर से बस ज़ुबाँ की सुन पाता हूँ 
क्या  उनकी ख़ामोशी कहे वहीँ चल देखूं 
मुसाफ़िर को ज़माना समझे सुख़नवर 
मैं आईने में दीवाना एक पागल देखूं 

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