कल जो अपनी ज़ुल्फों को तुमने उठा के समेटा था
तेरी मांग का सिन्दूर मुझे दिख गया था
मेरे अरमानों के खून का रंग अभी भी था उसमे
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
तुम्हें मरना होगा
वो कहते हैं मुझसे अब तुम्हें मरना होगा शूली पर चढ़ना होगा खेले खूब धूम मचाया जग से क्या कुछ न पाया पर तुम पा न सके उसे जिसकी तुम्हें जु...
-
सफ़र है तो किसी मंज़िल पे रुकता क्यों नहीं ? सब जा रहे हैं कहाँ कोई कुछ कहता क्यों नहीं ? बदल जाती है मेरे आस-पास की हर एक चीज मेरे अंदर जो म...
-
ज़िन्दगी एक जंग है एक मुसलसल जंग करने और होने के दरमियान करना जो इंसान का फ़ुतूर और होना उसका मुस्तक़बिल करना जो होने नहीं देता लेकिन हो...
-
सोच रहा हूँ आज फिर मैं अपने अंदर उतर कर देखूँ कि वहां का माज़रा क्या है तो पाता हूँ कि दरवाजे पर जंग है और ज़ीने पे धुल पड़ी है गोया को...
4 comments:
बहुत खूब।
Kya baat hai....
"unko dekhenge to phir se tut jaayenge...na dekhnge to tauheen-e-mohabbat hogi...unko bhulenge to jeeyenge kaise...na bhulenge to naakam-e-zindagi hogi"
Thanks Ravi aane ki liye ...... kya baat hai .... tumhari baat pe yaad aaya hai kuchh .....
kuchh kaha jaaye na
chup raha jaaye na
unse mila jaaye na
tanha raha jaaye na
aise hi aate raho ... kahte raho ....
बेहतरीन...........
Post a Comment