न उतरा हूँ न उतरूंगा
मैं सूरज हूँ मैं चमकूंगा
तुम दूर बैठ कर देखोगे
सबकी जुबां पे चढ़ जाऊँगा
आवारा बादल का टुकड़ा हूँ
न जाने कहाँ, पर बरसूँगा
मस्त हवा का झोंका हूँ
खुशबु ले कर उड़ जाऊँगा
दूर हटो ऐ दुनिया वालों
आज सुनो, बस मैं बोलूँगा
याद करोगे देर तक तुम
चालें ऐसी कुछ चल जाऊंगा
गौर से देख लो मुझको
गया, फिर हाथ न आऊंगा
उन्मादी दरिया का पानी हूँ
हर बंध तोड़ बह जाऊँगा
जुनू है ऐसा जीवन का
मौत से भी लड़ जाऊँगा
3 comments:
waah waah
bahut khoob !
Very beautiful...
ये अंदाज भी खूब है ...बहुत अच्छे!
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